Gangeshwar Singh,Eminent Writer

Eminent Writer

Gangeshwar Singh

Sabaras

Sabaras

Sabaras

Genre - Collection of Poems

आमुख

एक बार मेरे दिमाग में आया कि अगर सबरस को एक पात्र में ढाल दिया जाय तो बड़ा अनर्थ हो जायेगा। फिर तो खट्टा, मिठा, कसैला सब अपना मूल रस खो देगें। पर मेरी इस कविता संग्रह में सबरस एक साथ होते हुए भी अपना पृथक-पृथक सहअस्तित्व बनायें रख पाने में सक्षम हैं क्यों कि प्रत्येक रस की कविता अपने ठोस आधार पर टिकी हैं। भले एक पात्र में हों पर अपनी पात्रता में ये कविताएँ दाग नहीं लगने दे रही हैं। मेरा यह दृढ़ विश्वास है।

इस कविता संग्रह में देशभक्ति, प्रकृति, मानबी भाव की विभिन्न छाया, श्रृँगार-विरह वेदना-व्यथा के दर्शन होगें। हरेक मूड की परछाई की ताजगी से लबालब ये कविताएँ सुधि पाठकों को तरोताजा करने का दम रखती हैं। वैसे अंतिम निर्णय और फैसला तो आप ही करेगें। अपनी रची कविताएँ हैं, पुत्रवत स्नेह करने के हक और फर्ज से मुझे न रोके। मेरी इस उक्ति को दम्भ न समझें।

आपके सुझाव, प्रतिक्रिया और प्रेरणा की अपेक्षा मन में सँजोये लेखनी को थम कराता हूँ। बिदा लेता हूँ।

गंगेश्वर सिंह
Email- singhgangeswar2017@gmail.com